श्री महालक्ष्मी जी की आरती
जय लक्ष्मी मंगलनिधि महालक्ष्मी श्री सुन्दर लक्ष्मी।
विष्णु वामांगी माँ हेमांगी जगमग भूषण अंगी कोमल मधुभक्षी।
माँ पद्माक्षी आनन्दामृतभक्षी अन्तर वैचाक्षी।
माँ जङचेतन जनरक्षी क्षीराब्देस्तनया माँ।
जगमाया तेजो महिमा लक्ष्मी श्री सुन्दर लक्ष्मी ॥1॥
करूणाकर अम्बे माँ आनन्दे इन्द्रादिक तव वन्दे समस्त शुभकारी।
माँ भयहारी करूणाकर कौमारी वैकुण्ट निवासी।
माँ गुणराशी भक्त्याह्रदय विलासी शुभमति फलदायी।
माँ मनभायी सदा आनंदी लक्ष्मी श्री सुन्दर लक्ष्मी ॥2॥
विश्वंभरि माता माँ धनदाता संतन मन दुःख हरिता।
तापत्रयमोचन माँ तव लोचन जोगी जन मन रंजन।
सुरवर मुनि ध्यायी माँ कमलायी सर्वान्तर समतायी हे आद्या शक्ति।
माँ वेदोक्ति विदेही ज्ञानं लक्ष्मी श्री सुन्दर लक्ष्मी ॥3॥
अनन्त गुण महिमा माँ तव नामा नांतव ब्रह्मामूर्ति अद्भुत तव कीर्ति।
माँ भ्रमहरित शान्त सुशल्या मूर्ति विनवति नरसिँमा।
माँ दासोहं तव चरणं मम शरणम्।
जिवाग्रे वस लक्ष्मी श्री सुन्दर लक्ष्मी ॥4॥
“लक्ष्मी मात की जय”
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